Saturday, July 10, 2010

इशरत लश्कर की ‘मानव बम’ थी


अमेरिका में गिरफ्तार किए गए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी डेविड हेडली ने दावा किया है कि गुजरात पुलिस ने मुठभेड़ में इशरत जहां नाम की जिस लड़की को मार गिराया था, वह लश्कर की फिदायीन थी.15 जून 2004 को गुजरात पुलिस ने केंद्रीय खुफिया एजेंसी की सूचना के आधार पर इशरत के साथ लश्कर-ए-तैयबा के तीन अन्य आतंकियों को मुठभेड़ में मार गिराया था।मुठभेड़ में इशरत जहां की मौत पर खासा बवाल हुआ था. अहमदाबाद में हुई इस मुठभेड़ में मरने वालों में जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई और दो पाकिस्तानी नागरिक अमजद अली और जीशान जौहर अब्दुल गनी शामिल थे.
गुजरात पुलिस का दावा था कि इशरत जहां लश्कर की फिदायीन थी और उसे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने के लिए भेजा गया था. लेकिन कई मानवाधिकार संगठनों ने पुलिस के इस दावे को गलत बताते हुए मुठभेड़ को फर्जी करार दिया था. इशरत जहां के परिवार ने भी अपनी बच्ची को बेकसूर बताते हुए पुलिस के खिलाफ कोर्ट में अर्जी डाली थी. गुजरात हाई कोर्ट में अपनी अर्जी में इशरत की मां शमीमा कौसर ने कहा था कि मेरी बेटी जावेद शेख के परफ्यूम बिजनस में सेल्स गर्ल के तौर पर काम कर रही थी और मां ने अपनी बेटी को निर्दोष बताते हुए मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी.
इशरत जहां मुठभेड़ मामले में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी डेविड कोलमैन हेडली का रहस्योद्घाटन केंद्र सरकार के लिए नई मुसीबत बन सकता है.अब तक इशरत जहां संबंधी मुठ़भेड़ के मामले में केंद्र की संप्रग सरकार का आचरण दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक रहा है। जब इशरत का मामला गुजरात हाईकोर्ट में आया तो केंद्र सरकार ने हलफनामे में स्वीकार किया कि इशरत के लश्करे तैयबा से संबंध थे लेकिन हाईकोर्ट में जब इस मामले की सुनवाई हुई तो वह यह दलील देकर पीछे हट गई कि गुप्तचर सूचनाओं को सबूत नही माना जा सकता और मामले में नरेंद्र मोदी सरकार की भूमिका पर संदेह जताते हुए सीबीआई जांच का समर्थन कर दिया।
लेकिन, हाल ही में अमेरिका में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की पूछताछ में हेडली से मिली जानकारी ने गुजरात पुलिस के पक्ष को मजबूत कर गृह मंत्रालय की मंशा पर सवालिया निशान लगा दिया है। इस मुद्दे पर गृह मंत्रालय को अब कोई जवाब नहीं सूझ रहा है और । इस संबंध में पूछे जाने पर गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने भी 'नो कमेंट' कहकर बचने की कोशिश की। यही नहीं,इस मामले में फिलहाल कांग्रेस का कोई भी नेता अपना मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं है। वोट बैंक की खातिर लश्करे तैयबा की एक फिदायीन को सम्मान देने और गुजरात पुलिस को बदनाम करने के लिए इतहास कभी भी कांग्रेस को माफ़ नहीं करेगा. इशरत मामले में देश और अदालतों को अब तक गुमराह करने के लिए कांग्रेस को पुरे देश से माफ़ी मांग कर अपनी भूल का पश्चाताप करना चाहिए.