Wednesday, June 30, 2010

संगीनों के साए में बाबा अमरनाथ यात्रा


बाबा अमरनाथ की य़ात्रा का इंतजार देशभर के श्रद्धालु करते हैं। इस साल की अमरनाथ यात्रा यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के पहले जत्थे को जम्मू आधार शिविर से 30 जून को कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच रवाना किया गया ।

भारत में आस्था की प्रतीक अमरनाथ यात्रा शुरू होने से पहले हर बार कोई न कोई विवाद सामने आ जाता है दो साल पहले यानी 2008 की ही बात है जब अमरनाथ जमीन विवाद उपजा था और इसमें लगभग 50 लोगों की जान गई। 2 महीने तक कश्मीर भी जला और जम्मू भी ,लेकिन इस बार तो हद ही हो गयी जब जम्मू कश्मीर सरकार ने लंगर पर टैक्स और वाहनों पर भरी भरकम प्रवेश शुल्क लगा दिया जवाब में जम्मू में हिदू सगंठनों ने कमर कस ली कि लंगर समितियों पर टैक्स जजिया है। वाहनों पर टैक्स गलत है। इसके चलते जम्मू बंद का आह्वान, धरने-प्रदर्शन और नारेबाजी का सिलसिला जारी है । हिदू सगंठनों का कहना है कि हज यात्रियों को सब्सिडी टैक्स में छूट इत्य़ादि सुविधाएं दी जाती हैं तो अमरनाथ की यात्रा पर आने वालों पर टैक्स क्यों? बाद में जम्मू कश्मीर सरकार ने हालात खराब होते देख अपना पैंतरा तो बदल लिया कि वह लंगर समितियों पर जमीन का टैक्स नहीं लगाएगी सिर्फ सफाई व्यवस्था के लिए 15 हजार रुपये देने होंगे और यात्रा के वाहनों पर टैक्स में भारी छूट दे दी।

अलगाववादी माहोल ख़राब करने में जुटे.........जब सरकार की तरफ से थोड़ी रियायत मिली तो अलगाववादी संगठन सीमा पर से मिले आदेशो के बाद माहोल ख़राब करने में जुट गए ,अलगाववादी नेता सईद अली शाह गिलानी ने साफ कहा कि वह इस यात्रा को 15 दिन से ज्यादा नहीं चलने देंगे। कश्मीर बंद रहेगा और यह यात्रा भी सीमित श्रद्धालुओं के साथ हो क्योंकि कश्मीर की सुंदरता पर इसका असर पड़ता है। गिलानी के इस ब्यान से जम्मू में मुद्दाविहिन सगंठनों की बांछें खिल गईं और वह फिर झंडे उठाकर चौराहों पर आ गए कि यह हमारे साथ अन्याय है। अमरनाथ यात्रा की अवधि दो महीने से घटाकर 15 दिन करने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों ने अनंतनाग से श्रीनगर के बीच अमरनाथ यात्रियों की बसों पर पथराव किया हालांकि सवाल ये भी है कि गिलानी कौन होते हैं जो यह फैसला करें कि भारत के अभिन्न अंग कश्मीर में कौन कब आएगा ओर कितनी संख्या में आएगा। खैर, गिलानी अपनी राजनीतिक दुकानदारी में मशगूल हैं और जम्मू के संगठन अपनी दुकानदारी में लेकिन इसमें पिस रहा है आम कश्मीरी जो पूरा साल इसी इंतजार में रहता है कि कब यात्रा शुरू होगी और दो मीहने की इस यात्रा से वह पूरे साल का खर्चा निकालेगा। वह चाहे घोड़े पिठ्ठू वाला हो या शाल व ड्राई फ्रूट बेचने वाला हो।

क्या कह रही है केंद्र सरकार....... केंद्र सरकार तो यही कह रही है कि हम यह यात्रा कड़ी सुरक्षा के बीच दो महीने ही जारी रखेंगे और श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा से ज्यादा हो इसके पुख्ता इतंजाम भी होंगे और इस साल की अमरनाथ यात्रा पर नजर रखने के लिए बीएसएफ के करीब 3,000 जवान वहां पहुंच गए हैं।

श्रद्धालुओं को मुश्किलें........... लेकिन यह भी सच है कि बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को कुछ मुश्किलें भी इस बार जरूर होंगी क्योंकि कश्मीर के हालात हर दिन खराब हो रहे हैं। हिंसा के बाद जहां दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग, कुलगाम और पुलवामा में बुधवार सुबह अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया वहीं दक्षिणी कश्मीर के बिज्बेहारा और पहलगाम में भी कर्फ्यू जारी है।अनंतनाग और पहलगाम तीर्थयात्रा के जम्मू-पहलगाम यात्रामार्ग में पड़ते हैं जबकि अमरनाथ गुफा तक पहुंचने के लिए उत्तरी कश्मीर के बालतल मार्ग को चुनने वाले तीर्थयात्रियों को दक्षिण के बिज्बेहारा, अवंतिपोर और पेम्पोर से होकर गुजरना होगा। श्रीनगर,गांदेरबल और कंगना भी यात्रा के मार्ग में ही हैं।

हर रोज हो रही पत्थरबाजी और प्रदशनों से श्रद्धालुओं की परेशानी बढ़ रही है लेकिन हर कोई यह कह रहा है कि भोले बाबा की दया से इस बार भी यात्रा सकुशल ही संपन्न होगी।

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